ई-रूपी क्या है ? यह कैसे काम करता है ? इससे किसको फायदा होगा ? और इससे नुकसान किसको होगा ? जानिए आसान भाषा में
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पिछले लगभग दो सालों से शेयर मार्केट की दुनिया में आईपीओ (IPO-Initial Public Offering) को लेकर जबरदस्त चर्चा हो रही है । जिस प्रकार से कंपनियों द्वारा आईपीओ पब्लिक के बीच लाए जा रहे हैं उससे साफ पता चलता है कि आम आदमी भी शेयर मार्केट में रुचि रखने लगा है और अपने पूंजी का एक हिस्सा शेयर मार्केट और आईपीओ में लगाकर कम समय में ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं ।
आज के पढ़े-लिखे युवा भी शेयर मार्केट के पुराने डर को भूल कर अपनी छोटी सी पॉकेट मनी भी शेयर मार्केट में लगा रहे हैं । क्योंकि उन्हें पता है कि शेयर मार्केट ही एक ऐसा जरिया है जिससे कम समय में ज्यादा पैसा कमाया जा सकता है इसके लिए रिस्क लेने की क्षमता भी रखने लगे हैं ।
इसी श्रेणी में आईपीओ अपने पैसे को ज्यादा करने के लिए एक बेहतर विकल्प है अगर आईपीओ आवेदन करने से पहले कंपनी और उसके आने वाले आईपीओ के बारे में अच्छी तरह अध्ययन कर लिया जाए तो किसी भी व्यक्ति के लिए आईपीओ कमाई का एक अच्छा जरिया बन सकता है । तो आइए जानते हैं आईपीओ के बारे में कुछ छोटी मोटी बातें
दुनिया का पहला आईपीओ डच ईस्ट इंडिया कंपनी (Dutch East India Company) ने मार्च 1602 में लांच किया था । इस कंपनी ने पूंजी जुटाने के लिए कंपनी के शेयरों को जनता के सामने लाया इस प्रकार डच ईस्ट इंडिया कंपनी जनता को आईपीओ, शेयर, स्टॉक में सम्मिलित करने वाली दुनिया की पहली कंपनी बन गई ।
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इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि रिलायंस की सोच कितनी दूरदर्शी थी । रिलायंस के आईपीओ लॉन्च करने के ठीक 15 साल बाद April 12, 1992 को सेबी की स्थापना की गई थी । आज रिलायंस की वजह से आम आदमी भी किसी भी कंपनी में अपनी हिस्सेदारी खरीद सकता है वह भी एक छोटी पूंजी से ।
आईपीओ क्या है इसे एक उदाहरण के माध्यम से समझते हैं, मान लेते हैं ABC Limited एक कंपनी है जो सफल और अच्छी स्थिति में व्यापार कर रही है परंतु उसको ऋण भी चुकाना है, साथ ही साथ अपने व्यवसाय का विस्तार भी करना है ।
ऐसी स्थिति में ABC Limited को पूंजी की जरूरत होगी । अब पूंजी जुटाने के लिए कंपनी के पास दो रास्ते हैं या तो कंपनी लोन ले, जिसमें लोन का मूलधन तो वापस करना ही होगा, साथ ही साथ उसको उसका ब्याज भी चुकाना पड़ेगा । जिसमें कंपनी के ऊपर अतिरिक्त दबाव बढ़ेगा ।
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वही पूंजी जुटाने का दूसरा रास्ता आम आदमी को कंपनी में हिस्सेदार बनाना है । इसमें कंपनी द्वारा निवेशक को कोई ब्याज या मूलधन वापस नहीं करना पड़ता है । यदि कंपनी को लाभ होता है तो आम आदमी या निवेशक को निवेसित पूंजी के अनुपात में लाभ मिल जाता है । इसके विपरीत यदि हानि होती है तो निवेसित पूंजी की मात्रा में हानि को बांट दिया जाता है ।
इस प्रकार से कंपनी को पूंजी तो मिल ही जाती है साथ में जोखिम भी कम हो जाता है । निवेशक के द्वारा कंपनी में लगाए गए इसी पूंजी को कंपनी का शेयर कहते हैं । और जब इसी शेयर को कंपनी द्वारा निवेशकों या आम आदमी को देने के लिए पहली बार आमंत्रित किया जाता है तो इसे आईपीओ कहा जाता है मतलब प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (IPO-Initial Public Offering)
IPO-Initial Public Offering जारी करना मार्केट या पब्लिक से पैसा लेने का एक शानदार विकल्प है । किसी भी कंपनी को कंपनी विस्तार या व्यापार विस्तार के लिए पर्याप्त पैसे की जरूरत होती है चाहे व्यवसाय में सुधार करना हो, कंपनी के मूलभूत ढांचे को मजबूत करना हो या कंपनी द्वारा लिए गए ऋण को चुकाना हो ।
ऐसे में आईपीओ एक बेहतर और मजबूत साधन होता है । "सार्वजनिक होने वाली एक कंपनी का मतलब है कि ब्रांड को स्टॉक एक्सचेंज में अपना नाम चमकाने के लिए पर्याप्त सफलता मिली है यह किसी भी कंपनी के लिए गर्व की बात होती है ।"
2021-22 में सरकार एलआईसी की आईपीओ लाने की तैयारी में है । अगर इस आईपीओ के लिए आवेदन किया जाता है तो आईपीओ मिलने पर रकम दुगनी से अधिक हो सकती है । एलआईसी के एक विशेष योजना के तहत अपने पॉलिसी धारकों के लिए अलग से आईपीओ आरक्षित की है । या आईपीओ 2022 के March में आ सकता है या 2022 के पहले क्वार्टर में । एक सूचना के अनुसार यह आईपीओ दो भागों में आ सकता है । अगर आप इस आईपीओ में आवेदन करना चाहते हैं तो अपने और घर में सभी सदस्यों का डिमैट अकाउंट पहले से खोज सकते हैं ।
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डॉक्टर जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे मरीजों का न सिर्फ इलाज करते हैं बल्कि उन्हें एक नया जीवन भी देते हैं । इसलिए उन्हें धरती पर भगवान का रूप कहा जाता है डॉक्टरों के समर्पण और इमानदारी के प्रति सम्मान जाहिर करने के लिए हर साल 1 जुलाई को नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया जाता है । आखिर क्यों हर साल 1 जुलाई को भारत में इसे मनाया जाता है ? क्या है इसके पीछे की वजह ?
Happy Doctor's Day |
देश के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ बिधान चंद्र राय को श्रद्धांजलि और सम्मान देने के लिए उनकी जयंती और पुण्यतथि पर इसे मनाया जाता है । उनका जन्म 1 जुलाई 1882 में बिहार के पटना जिले में हुआ था । कोलकाता में मेडिकल की शिक्षा पूरी करने के बाद डॉ बिधान चंद्र राय MRCP और FRCS की उपाधि लंदन से प्राप्त की। उन्होंने साल 1911 भारत में जीवन की शुरुआत की ।
डॉ बिधान चंद्र राय का चिकित्सा के क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है । उन्होंने लंदन के सेंट बार्टोलोमियू हॉस्पिटल से डॉक्टरी की पढ़ाई की कोशिश की । लेकिन उस समय उनके भारतीय होने की वजह से उन्हें दाखिला नहीं दिया गया । विधान चंद्र राय ने हार नहीं मानी और तकरीबन डेढ़ महीने तक हॉस्पिटल के डिन के पास आवेदन भेजते रहे ।
आखिर में हॉस्पिटल के डिन ने हार मान कर डॉ बिधान चंद्र राय के 30वी बार एप्लीकेशन देने के बाद उनको दाखिला दे दिया । पढ़ाई के बाद भारत लौटकर डॉ बिधान चंद्र राय ने चिकित्सा के क्षेत्र में विस्तृत काम किया ।
Roy in 1943 Courtesy:wikipedia.org |
डॉ बिधान चंद्र राय का जन्म 1 जुलाई 1882 को हुआ था और सौभाग्य से उनकी मृत्यु भी 1 जुलाई को ही हुई थी लेकिन इस बार साल 1962 था । वही महान फिजीशियन डॉ बिधान चंद्र राय पश्चिमी बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री भी रहे । उन्हें दूरदर्शी नेतृत्व के लिए पश्चिम बंगाल राज्य का आर्किटेक्ट भी कहा जाता है । 4 फरवरी 1961 में उन्हें भारत की सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था ।
भारत में इसकी शुरुआत 1991 में तत्कालीन सरकार द्वारा की गई थी । तब से लेकर आज तक 1 जुलाई को नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया जाता है । भारत के महान चिकित्सक और पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री को सम्मान और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए यह दिवस मनाया जाता है ।
पिछले साल 2020 का थीम था "Lessen the mortality of COVID-19" लेकिन इस बार नेशनल डॉक्टर डे का थीम Building the future with family doctors" है ।
कुटुंब ऐप एक संगठन, संस्था, समूह अथवा विशेष वर्ग के लिए काम करता है । इस ऐप को चलाने वाला व्यक्ति किसी खास वर्ग का सदस्य होता है । जो किसी विशेष काम को करने के लिए यहां एक दूसरे से जुड़े होते हैं । इस ऐप के माध्यम से अपनी बातों को बड़ी आसानी से अपने समुदाय में बता सकते हैं ।
कुटुंब ऐप की सबसे अच्छी और खास बात यह है कि सभी एक खास मकसद के लिए काम करते हैं । कुटुंब ऐप सोशल मीडिया का काम तो करता ही है साथ में पर्सनल वेबसाइट और ऐप का भी काम करता है । यह ऐप अपनी बातों को कहने की पूरी आजादी देता है इसके अलावा आप अनजान लोगों से बात नहीं करना चाहते तो उसके लिए भी विकल्प देता है ।
कुटुंब ऐप दूसरे धर्म अथवा समुदायों में नफरत फैलने से रोकता है । इस ऐप की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि एक ही समुदाय के लोगों के होने से लोगों में नफरत नहीं होती । यहां सभी अपने अपने समुदाय संगठन को आगे बढ़ाते हैं । इस ऐप को बनाने वाले लोगों का नारा है "भारत से भारत के लिए"
जिस प्रकार किसी भी ऑफिस में अथवा संगठन में एक सॉफ्टवेयर होता है जिसमें उस संस्था के सारे लोग जुड़े होते हैं और अपने अपने काम को करते हैं ठीक वैसे ही कुटुंब ऐप काम करता है साथ ही साथ यह सोशल मीडिया का भी विकल्प देता है । हमारे देश के बहुत से संसाधन विदेशों के लिए काम करते हैं परंतु अब देश का संसाधन देश के लिए काम करें यही कुटुंब ऐप का उद्देश्य है ।
Kutumb app Features |
सभी का मकसद एक होने की वजह से मतभेद जल्दी ही दूर भी हो जाता है । व्हाट्सएप ग्रुप हमें सिर्फ 256 लोगों को जोड़ने की अनुमति देता है जबकि कुटुंब में कोई सीमा नहीं रखी गई है चाहे जितना मर्जी हो सदस्य ग्रुप में जुड़ सकते हैं । अगर फेसबुक की बात करें तो यहां कोई मकसद नहीं होता सिर्फ टाइमपास और ऐड प्रमोशन होता है जिसका सारा फायदा फेसबुक को जाता है । परंतु कुटुंब ऐप में जुड़ने वाले लोग किसी खास मकसद के लिए यहां आते हैं मतलब कि कोई टाइम पास नहीं और ना ही कोई ऐड प्रमोशन होता है ।
किसी भी सोशल मीडिया के लिए डाटा प्राइवेसी और डेटा संरक्षण सबसे अहम बात होती है । हाल ही में फेसबुक और व्हाट्सएप की डाटा प्राइवेसी को लेकर बहुत बवाल मचा हुआ था और हो भी क्यों ना जब सवाल ने व्यक्तिगत और गोपनीयता का हो तो । फेसबुक और व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया एप हमारे बहुत से महत्वपूर्ण डाटा हमसे पहले ही ले लेते हैं ।
कुटुंब एप डाटा के नाम पर सिर्फ मामूली जानकारी ही लेता है वह भी सारा डाटा अपने देश की शहर बेंगलुरु में रखा जाता है । जबकि व्हाट्सएप और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया एप हमारा डाटा विदेशों में रखते हैं जिसकी कोई गारंटी भी नहीं होती । कुटुंब ऐप आपका सारा डाटा पूरी तरह सावधानी के साथ सुरक्षित रखा जाता है ।
कुटुंब ऐप पूरी तरह से शुद्ध स्वदेशी भारतीय ऐप है जिसमें लगातार भारतीय यूजर बढ़ते ही जा रहे हैं । आने वाले वक्त में यह बहुत सारे अपडेट लाएगा जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाएगा । इसकी लोकप्रियता लोगों में बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह ऐप कितनी तेजी से लोगों के बीच में अपनी जगह बनाता जा रहा है ।
Download &Google ratings |
कुटुंब को बनाने वाले सदस्य बहुत ही मेहनत करके इस ऐप को बनाया है जिनके नाम नीचे दिए जा रहे हैं
Product Team
Technology Team
Business Team
Community Team
Design Team
Happy International Labour Day |
हर वह इंसान जो किसी संस्था के लिए काम करता है और उसके बदले में वह पारिश्रमिक लेता है । उसे मजदूर श्रेणी में आना पड़ता है हमारे समाज में मजदूर वर्ग को हमेशा गरीब इंसान समझा जाता है । धूप में मजदूरी करने वालों को ही हम मजदूर समझते हैं इसके विपरीत मजदूर समाज का वह अभिन्न अंग है जो समाज को मजबूत एवं आत्मनिर्भर बनाता है ।
समाज को सफलता की ओर ले जाता है । मजदूर वर्ग में वह सभी लोग जो किसी संस्था या निजी तौर पर किसी के लिए काम करते हैं और बदले मे मेहनताना या पारिश्रमिक लेते हैं । शारीरिक व मानसिक रूप से मेहनत करने वाला वह हर इंसान मजदूर है फिर चाहे वह ऑफिस में काम करता हो या ऑफिस के बाहर सड़क पर दिहाड़ी मजदूरी करता हो ।
इन्हीं मजदूरों को सम्मान देने व उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए मजदूर दिवस मनाया जाता है । अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस को मई दिवस व कर्मचारी दिवस भी कहते हैं ।
1st May Labour Day |
अंतरराष्ट्रीय तौर पर मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत 1 मई 1989 को हुई थी इसकी शुरुआत एक अमेरिकी घटना से हुई थी । एक घटना के अनुसार 1 मई 1886, अमेरिका के मजदूर संगठनों ने यह तय किया कि अब वह दिन में केवल 8 घंटे ही काम करेंगे । इस मांग को मनवाने के लिए सभी मजदूरों ने मिलकर हड़ताल कर दिया।
हड़ताल के दौरान शिकागो के हे मार्केट में एक बम धमाका हो गया जिसमें मजदूरों समेत अनगिनत लोग घायल हो गए । पुलिस द्वारा भी गोली चला दी गई लगभग 100 से अधिक मजदूरों की जान चली गई देखते ही देखते दुनिया भर के श्रमिकों में रोष पैदा होने लगा । और दुनिया भर के सारे मजदूर अपने-अपने स्थानों पर 8 घंटे काम करने की मांग कर दी ।
फिर क्या था इस बीच फ्रांस की राजधानी पेरिस में 1889 में अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन की बैठक बुलाई । इस बैठक में एक प्रस्ताव लाया गया कि अब से 1 मई को घटना में घायल हुए एवं वित्त मजदूरों की याद में अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाएगा । साथ ही साथ कामगार एवं श्रमिकों को अवकाश देने की घोषणा की गई । आज लगभग 80 देशों में इस दिन अवकाश रहता है ।
Labour Happiness |
मजदूर दिवस मनाने का मुख्य वजह उनके द्वारा किए गए कार्यों को प्रोत्साहित करना, उनको सम्मान देना, उनको उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करना, उनके स्वास्थ्य का ख्याल रखना और समाज में वह सब अधिकार दिलाना जो उनके हकदार है ।
यूरोप में इस दिन मजदूरों के लिए अवकाश रखा जाता है मजदूर हमेशा स्वाभिमानी होते हैं वह अपने मेहनत के बदौलत अपने जीवन को जीते हैं । मजदूर के लिए कोई भी रास्ता शॉर्टकट नहीं होता । मजदूर की मेहनत और निष्ठा ही उसके लिए यंत्र का काम करते हैं ।
मजदूर ही किसी भी देश के विकास में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । देश के किसी भी इंफ्रास्ट्रक्चर में मजदूर का सबसे बड़ा और सबसे ज्यादा रोल होता है । इसलिए मजदूर दिवस के दिन बहुत ही स्नेह और सम्मान के साथ उनका आदर किया जाना चाहिए ।
Happy International Dance Day 2021 |
29 अप्रैल को मनाए जाने वाला डांस शब्द का नाम सुनते ही मन में एक उत्साह एवं खुशनुमा माहौल बन जाता है । पहले के जमाने में डांस को लेकर जो सीमाएं थी अब वह समाप्त हो गई है । डांस केवल मनोरंजन का साधन नहीं बल्कि स्वास्थ्य के नजरिए से महत्वपूर्ण हो गया है । अब चाहे जिम हो या अन्य स्वास्थ्य केंद्र, हर जगह डांस का महत्व बढ़ गया है । यहां तक कि डांस अब पढ़ाई का मुख्य विषय बन गया है, डांस के बारे में स्कूल कालेजों और विश्वविद्यालयों में अलग से क्लास दिए जाने लगे हैं । डांस एक ऐसा माध्यम बन गया है जिसकी मदद से लोग अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं
Belly Dance Moves |
29 अप्रैल 1982 को यूनेस्को ने इस दिन को अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस (International Dance Day) के रूप में मनाने का फैसला किया । डांस के रिफॉर्मर महान नर्तक जीन चार्ज नावेरे (Jean George Noverre) के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है । शुरुआत में इस दिन को मनाने का मकसद सिर्फ लोगों के बीच डांस की खासियत को बताना था ।
डांस के फायदों के बारे में लोगों को समझाना था । क्योंकि बहुत सारे लोग डांस में रुचि नहीं रखते और ना ही इसके फायदे के बारे में जानते हैं । लेकिन बदलते वक्त के साथ-साथ डांस समाज के हर तबके में पहुंच गया है । बहुत सारे लोगों की कमाई का जरिया भी बन गया है तो वही बहुत सारे लोगों के लिए स्वास्थ्य का एवं मनोरंजन का साधन बन गया है ।
जीन चार्ज नावेरे एक महान फ्रेंच बैली डांसर थे, इनका जन्म 29 अप्रैल सन 1727 को हुआ था । वह बैली डांस के बारे में पूरी तरह से माहिर थे । जीन जॉर्ज नावेरे ने 1760 में ‘लेटर्स ऑन द डांस’ नाम की एक किताब भी लिखी थी जिसमें उन्होंने डांस और उससे संबंधित विषयों पर अपने विचार बताए थे, जिनमें लेट्स मीट द वेली (Let's meet the belly) नामक किताब बहुत ही प्रसिद्ध हुई थी । जीन जॉर्ज नावेरे की इच्छा थी कि डांस के बच्चों को शिक्षा में एक भाग के रूप में शामिल किया जाए ।
जीन जॉर्ज नावेरे के सम्मान में यूनेस्को के अंतरराष्ट्रीय थिएटर इंस्टिट्यूट (International Theater Institute) की अंतरराष्ट्रीय प्रेस कमेटी (International press committee) ने 29 अप्रैल को नृत्य दिवस के रूप में स्थापित किया । तथा सन् 2005 में बहुत सारे विद्यालयों में उनकी याद में बच्चों द्वारा नृत्य संबंधित अनगिनत निबंध और चित्र बनाए । जीन चार्ज नावेरे के द्वारा चलाया गया यह अभियान पूरी दुनिया में तेजी से फैल रहा है और उनके नृत्य की बारीकियां मनुष्य को मनोरंजन और स्वास्थ्य प्रदान करने में अपना अहम भूमिका निभा रहा है ।
राष्ट्रीय पंचायत राज दिवस हर साल 24 अप्रैल को पूरे देश भर में मनाया जाता है । यह क्यों मनाया जाता है ? और यह 24 अप्रैल को ही क्यों मनाते हैं ? इन सबका उत्तर आज आपको देने जा रहे हैं ।
सिर्फ केंद्र या राज्य सरकार ही पूरे देश को चलाने में सक्षम नहीं हो सकती । इसके लिए स्थानीय स्तर पर भी प्रशासन की व्यवस्था की गई है । इसी व्यवस्था को पंचायती राज नाम दिया गया है ।
पंचायती राज में गांव के स्तर पर ग्राम सभा, ब्लॉक स्तर पर मंडल परिषद और जिला स्तर पर जिला परिषद होता है । इन संस्थानों के लिए सदस्यों का चुनाव होता है । जो जमीनी स्तर पर शासन की बागडोर संभालते हैं ।
महात्मा गांधी कहते थे अगर देश के गांव को खतरा पैदा हुआ तो भारत को खतरा पैदा हो जाएगा । उन्होंने मजबूत और सशक्त गांव का सपना देखा था । जो भारत के रीढ़ की हड्डी होती है । उन्होंने ग्राम सभा का कांसेप्ट दिया था । उन्होंने कहा था कि पंचायतों के पास सभी अधिकार होने चाहिए ।
गांधी जी के सपनों को पूरा करने के लिए 1992 में संविधान में 73 वा संशोधन किया गया । पंचायती राज संस्थान का कांंसेप्ट पेश किया गया इस कानून की मदद से स्थानीय निकायों को ज्यादा सेे ज्यादा शक्तियां प्रदान की गई । उनको आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय की शक्ति और जिम्मेदारियांं दी गई ।
24 अप्रैल 1993 को संविधान में 73 वा संशोधन मुख्य रूप से घोषित कर दिया गया था तब से आज तक इस दिन को राष्ट्रीय पंचायती दिवस के रूप में मनाया जाता है। देश की करीब 70 फ़ीसदी जनसंख्या गांव में रहती है । और पूरे देश में दो लाख 39 हजार ग्राम पंचायत हैं ।
पंचायत व्यवस्था लागू होने के बाद पंचायतों को लाखों रुपए का फंड सरकार की तरफ से सालाना दिया जाता है । ग्राम पंचायतों में विकास कार्य की जिम्मेदारी प्रधान और पंचों की होती है । इसके लिए हर 5 साल में ग्राम प्रधान का चुनाव होता है ।
Indian Agriculture |
ग्राम सभा की बैठक बुलाने का अधिकार ग्राम प्रधान को होता है बैठक के लिए कुल सदस्यों की संख्या के पांचवें भाग की उपस्थिति जरूरी होता है । ग्राम पंचायत के एक तिहाई सदस्य किसी भी समय हस्ताक्षर करके लिखित रूप से यह बैठक बुलाने की मांग कर सकते हैं ।
15 दिन के अंदर ग्राम प्रधान को बैठक आयोजित करनी होती है । ग्राम पंचायत सदस्यों के द्वारा अपने में से किसी एक को उपप्रधान के रूप में निर्वाचित कर सकता है । यदि उपप्रधान का निर्वाचन नहीं किया जा सका हो तो नियत अधिकारी किसी सदस्य को उपप्रधान निर्वाचित कर सकता है ।
शुरुआती दिनों में गांव का सरपंच ही सम्मानित व्यक्ति होता था सबसे ज्यादा सरपंच की बात सुनी जाती थी । सभी उसके पास अपनी समस्याओं के निवारण के लिए आते थे । सरपंच के पास ही सारी शक्तियां होती थी लेकिन अब ग्राम ब्लॉक और जिला स्तर पर चुनाव होता है । और प्रतिनिधियों को चुना जाता है ।
सूचित जाति, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजातीय महिलाओं के लिए भी पंचायत में आरक्षण का प्रावधान होता है । पंचायती राज संस्थानों को कई तरह की शक्तियां भी प्रदान की गई है ताकि वे सक्षम तरीके से काम कर सके ।
पंचायती राज के बहुत सारे मुख्य कार्य होते हैं ग्राम के विकास से लेकर ग्राम में रहने वाले लोगों की सुख-सुविधाओं इत्यादि की सारी जिम्मेदारी ग्राम प्रधान की होती है अथवा पंचायती राज का होता है। पंचायती राज के कुछ मुख्य कार्य निम्नलिखित है
भारत के संविधान निर्माता, समाज सुधारक, दलितों के लिए आजीवन लड़ने वाले डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का जन्म दिवस 14 अप्रैल को मनाया जाता है । हर बार की तरह इस बार भी उनके जन्मदिवस के दिन अपने विचार और उनके आदर्शों के बारे में एक दूसरे से चर्चा करते हैं । इस बार उनके जन्म दिवस के दिन हम आपको एक रोचक कथा बताते हैं कि उनको अंबेडकर उपनाम कैसे मिला ? और बाबा साहब ने बौद्ध धर्म क्यों अपनाया ?
दरअसल बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का जन्म मध्यप्रदेश के महू गांव में हुआ था । 14 अप्रैल 1891 को पिता के उपनाम में सतपाल लगा था (उपनाम मतलब सरनेम अथवा टाइटल) लेकिन उनके पिता मूल रूप से मराठी थे । गांव का उपनाम अंबाडवे था पिता ने अपना उपनाम बदल कर अंबाडवे कर लिया और यही बाद में अंबेडकर बन गया ।
बाबा साहेब का जन्म हिंदू धर्म के महार जाति में हुआ था और उस वक्त की मान्यता के अनुसार महार जाति को लोग अछूत और निचली जाति के मानते थे । और सिर्फ जाति के कारण प्रतिभाशाली होने के बावजूद बाबासाहेब को हमेशा जातिगत भेदभाव, छुआछूत का सामना करना पड़ा । और इस कुप्रथा ने बाबासाहेब को डॉक्टर भीमराव अंबेडकर बना दिया ।
Signature of Baba Saheb |
15 वर्ष की आयु में 9 वर्ष की रमाबाई से उनका विवाह हो गया लेकिन यह शादी उनकी प्रतिभा पर भारी नहीं पड़ी । शादी के बाद मुंबई के एलकिंग्सटन कॉलेज में दाखिला ले लिया । उन्हें ₹25 प्रति माह का स्कॉलरशिप भी मिलने लगा । 1912 में उन्होंने राजनीति विज्ञान एवं अर्थशास्त्र में स्नातक की उपाधि ली और फिर अमेरिका चले गए ।
बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर जी ने न सिर्फ दलित और पिछड़ों के लिए बल्कि महिलाओं के अधिकार के लिए भी संघर्ष किया हैं । हर कोई आज महिला सशक्तिकरण का श्रेय लूटने में लगा हैं परंतु हकीकत में भारत में इस बदलाव के असल नायक डॉ भीमराव अम्बेडकर जी हैं जिन्होंने सभी को एक समान रखा
1916 में उन्हें शोध करने के लिए पीएचडी से सम्मानित किया गया । 1930 में उन्होंने अपना एक और शोध "रुपए की समस्याएं" को पूरा किया और इसके लिए भी उन्हें लंदन यूनिवर्सिटी से डॉक्टर ऑफ साइंस का उपाधि मिली । 1927 में कोलंबिया यूनिवर्सिटी ने उन्हें पीएचडी की उपाधि दी।
जीवन के इस आपाधापी में अंबेडकर आगे तो बढ़ रहे थे लेकिन जिस असमानता का वह सामना कर रहे थे वह उन्हें कचोट रहा था। इसलिए उन्होंने देश भर में घूम-घूम कर दलितों के अधिकार के लिए आवाज उठाए । लोगों को जागरुक करने के के लिए एक समाचार पत्र जिसका नाम "मूकनायक" मतलब की साइलेंट हीरो था जिसे उन्होंनेे शुरू किया ।
सन 1936 में भीमराव अंबेडकर ने स्वतंत्र मजदूर पार्टी की स्थापना की और अगले ही साल केंद्रीय विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को 15 सीटें मिली । बाद में इसका नाम बदलकर ऑल इंडिया शेड्यूल कास्ट पार्टी (All India Schedule cast) कर दिया गया । सुरक्षा सलाहकार समिति और वायसराय के कार्यकारिणी परिषद के श्रम मंत्री के रूप में कार्यरत रहे । देश के पहले कानून मंत्री बने और संविधाान के गठन केे अध्यक्ष रहे ।
बाबासाहेब आंबेडकर की खास बात यह थी कि यह कानून से ज्यादा समाज को मानते थे । उनका कहना था जब तक आप सामाजिक रूप से स्वतंत्र नहीं हो जाते जब तक समाज खुद आपको इज्जत नहींं देता तब तक कानून कुछ नहींं कर सकता । वे कहते थे कि एक सफल क्रांति केवल असंतोष का होना ही काफी नहीं है बल्कि इसके लिए न्याय, राजनीति और सामाजिक अधिकारों में गहरी आस्था का होना भी बहुत ही आवश्यक है ।
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ऐसे ही एक और किस्सा है जो बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने बौद्ध धर्म अपना लिया था । दरअसल अंबेडकर बचपन से ही संस्कारी और धार्मिक माहौल में रहे थे । उनका कहना था कि मैं ऐसे धर्म में विश्वास रखता हूं जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाएं । साथ ही 1950 में उनकी एक बौद्धिक सम्मेलन में भाग लेने के लिए श्री लंका गए जहां उन्हें बौद्ध धर्म से लगाव सा हो गया।
भारत में आकर उन्होंने इस पर किताब भी लिखा और बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया । 1955 में उन्होंने भारतीय बौद्ध महासभा की स्थापना की । 14 अक्टूबर 1956 को उन्होंने एक सभा में 5 लाख लोगों के साथ बौद्ध धर्म अपना लिया ।
फिर बच्चे के पिता नगर सेठ के पास गए, नगर सेठ ने ₹2 देने का वादा किया तो डॉक्टर इस बार इस शर्त पर मान गया कि अगर बच्चा दलित बस्ती से बाहर आता है तो उसका इलाज करेगा इस शर्त के अनुसार बच्चे के माता-पिता रात को 8:00 बजे अपने बच्चे को लेकर दलित बस्ती से बाहर आए तब जाकर डॉक्टर ने बच्चे का इलाज किया और कुछ दवाएं भिजवाई ।
लेकिन बाद में दोबारा आने से मना कर दिया और इस तरह बच्चे की जान चली गई इस घटना से बाबा साहब भीमराव अंबेडकर बहुत ही दुखी हुए और अपना पूरा जीवन समानता के अधिकार के लिए संघर्ष करते हुए बीता दिए ।
*प्रश्न 1-* डॉ अम्बेडकर का जन्म कब हुआ था?
*उत्तर-* 14 अप्रैल 1891
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*प्रश्न 2-* डॉ अम्बेडकर का जन्म कहां हुआ था ?
*उत्तर-* मध्य प्रदेश इंदौर के महू छावनी में हुआ था।
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*प्रश्न 3-* डॉ अम्बेडकर के पिता का नाम क्या था?
*उत्तर-* रामजी मोलाजी सकपाल था।
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*प्रश्न 4-* डॉ अम्बेडकर की माता का नाम क्या था?
*उत्तर-* भीमा बाई ।
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*प्रश्न 5-* डॉ अम्बेडकर के पिता का क्या करते थे?
*उत्तर-* सेना मैं सूबेदार थे ।
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*प्रश्न 6-* डॉ अम्बेडकर की माता का देहांत कब हुआ था?
*उत्तर-* 1896
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*प्रश्न 7-* डॉ अम्बेडकर की माता के देहांत के वक्त उन कि आयु क्या थी ?
*उत्तर-* 5वर्ष।
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*प्रश्न 8-* डॉ अम्बेडकर किस जाती से थे?
*उत्तर-* महार जाती।
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*प्रश्न 9-* महार जाती को कैसा माना जाता था?
*उत्तर-* अछूत (निम्न वर्ग )।
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*प्रश्न10-* डॉ अम्बेडकर को स्कूल मैं कहां बिठाया जाता था?
*उत्तर-* क्लास के बहार।
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*प्रश्न 11-* डॉ अम्बेडकर को स्कूल मैं पानी कैसे पिलाया जाता था?
*उत्तर-* ऊँची जाति का व्यक्ति ऊँचाई से पानी उनके हाथों परडालता था!
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*प्रश्न12-* बाबा साहब का विवाह कब और किस से हुआ?
*उत्तर-* 1906 में रमाबाई से।
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*प्रश्न 13-* बाबा साहब ने मैट्रिक परीक्षा कब पास की?
*उत्तर-* 1907 में।
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*प्रश्न 14-* डॉ अम्बेडकर के बंबई विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने से क्या हुवा?
*उत्तर-* भारत में कॉलेज में प्रवेश लेने वाले पहले अस्पृश्य बन गये।
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*प्रश्न 15-* गायकवाड़ के महाराज ने डॉ अंबेडकर को पढ़ने कहां भेजा?
*उत्तर-* कोलंबिया विश्व विद्यालय न्यूयॉर्क अमेरिका भेजा।
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*प्रश्न 16-* बैरिस्टर के अध्ययन के लिए बाबा साहब कहां और कब गए?
*उत्तर-* 11 नवंबर 1917 लंदन में।
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*प्रश्न 17-* बड़ौदा के महाराजा ने डॉ आंबेडकर को अपने यहां किस पद पर रखा?
*उत्तर-* सैन्य सचिव पद पर।
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*प्रश्न 18-* बाबा साहब ने सैन्य सचिव पद को क्यों छोड़ा?
*उत्तर-* छुआ छात के कारण।
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*प्रश्न 19-* बड़ौदा रियासत में बाबा साहब कहां ठहरे थे?
*उत्तर-* पारसी सराय में।
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*प्रश्न 20-* डॉ अंबेडकर ने क्या संकल्प लिया?
*उत्तर-* जब तक इस अछूत समाज की कठिनाइयों को समाप्त ने कर दूं तब तक चैन से नहीं बैठूंगा।
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*प्रश्न 21-* डॉ अंबेडकर ने कौनसी पत्रिका निकाली?
*उत्तर-* मूक नायक ।
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*प्रश्न 22-* बाबासाहेब वकील कब बने?
*उत्तर-* 1923 में ।
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*प्रश्न 23-* डॉ अंबेडकर ने वकालत कहां शुरु की?
*उत्तर-* मुंबई के हाई कोर्ट से ।
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*प्रश्न 24-* अंबेडकर ने अपने अनुयायियों को क्या संदेश दिया?
*उत्तर-* शिक्षित बनो संघर्ष करो संगठित रहो ।
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*प्रश्न 25-* बाबा साहब ने बहिष्कृत भारत का
प्रकाशन कब आरंभकिया?
*उत्तर-* 3 अप्रैल 1927
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*प्रश्न 26-* बाबासाहेब लॉ कॉलेज के प्रोफ़ेसर कब बने?
*उत्तर-* 1928 में।
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*प्रश्न 27-* बाबासाहेब मुंबई में साइमन कमीशन के सदस्य कब बने?
*उत्तर-* 1928 में।
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*प्रश्न 28-* बाबा साहेब द्वारा विधानसभा में माहर वेतन बिल पेश कब हुआ?
*उत्तर-* 14 मार्च 1929
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*प्रश्न 29-* काला राम मंदिर मैं अछुतो के प्रवेश के लिए आंदोलन कब किया?
*उत्तर-* 03 मार्च 1930
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*प्रश्न 30-* पूना पैक्ट किस किस के बीच हुआ?
*उत्तर-* डॉ आंबेडकर और महात्मा गांधी।
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*प्रश्न 31-* महात्मा गांधी के जीवन की भीख मांगने बाबा साहब के पास कौनआया?
*उत्तर-* कस्तूरबा गांधी
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*प्रश्न 32-* डॉ अम्बेडकर को गोल मेज कॉन्फ्रंस का निमंत्रण कब मिला?
*उत्तर-* 6 अगस्त 1930
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*प्रश्न 33-* डॉ अम्बेडकर ने पूना समझौता कब किया?
*उत्तर-* 1932 ।
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*प्रश्न 34-* अम्बेडकर को सरकारी लॉ कॉलेज का प्रधानचार्य नियुक्त कियागया?
*उत्तर-* 13 अक्टूबर 1935 को।
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*प्रश्न 35-* मुझे पढे लिखे लोगोँ ने धोखा दिया ये शब्द बाबा साहेब ने कहां कहे थे?
*उत्तर-* आगरा मे 18 मार्च 1956 ।
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*प्रश्न 36-* बाबा साहेब के पि. ए. कोन थे?
*उत्तर-* नानकचंद रत्तु।
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*प्रश्न 37-* बाबा साहेब ने अपने अनुयाइयों से क्या कहा था?
*उत्तर-* - इस करवा को मै बड़ी मुस्किल से यहाँ तक लाया हु !
इसे आगे नहीं ले जा सकते तो पीछे मत जाने देना।
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*प्रश्न 38-* देश के पहले कानून मंत्री कौन थे?
*उत्तर-* डॉ अम्बेडकर।
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*प्रश्न 39-* स्वतंत्र भारत के नए संविधान की रचना किस ने की?
*उत्तर-* डॉ अम्बेडकर।
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*प्रश्न 40-* डॉ अंबेडकर ने भारतीय संविधान कितने समय में लिखा?
*उत्तर- 2* साल 11 महीने 18 दिन।
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*प्रश्न 41-* डा बी.आर. अम्बेडकर ने बौद्ध धर्मं कब और कहा अपनाया?
*उत्तर -* 14 अक्टूबर 1956, दीक्षा भूमि, नागपुर।
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*प्रश्न 42-* डा बी.आर. अम्बेडकर ने बौद्ध धर्मं कितने लोगों के साथ अपनाया?
*उत्तर-* लगभग 10 लाख।
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*प्रश्न 43-* राजा बनने के लिए रानी के पेट की जरूरत नहीं,
तुम्हारे वोट की जरूरत है ये शब्द किस के है?
*उत्तर-* डा बी.आर. अम्बेडकर।
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*प्रश्न 44-* डा बी.आर. अम्बेडकर के दुवारा लिखित महान पुस्तक का क्या नाम है?
*उत्तर-* दी बुद्ध एंड हिज धम्मा।
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*प्रश्न 45* - बाबा साहेब को किस पुरस्कार से सम्मानित किया गया?
*उत्तर-* भारत रत्न।
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