राष्ट्रीय पंचायत राज दिवस, 24 अप्रैल 2021
राष्ट्रीय पंचायत राज दिवस हर साल 24 अप्रैल को पूरे देश भर में मनाया जाता है । यह क्यों मनाया जाता है ? और यह 24 अप्रैल को ही क्यों मनाते हैं ? इन सबका उत्तर आज आपको देने जा रहे हैं ।
सिर्फ केंद्र या राज्य सरकार ही पूरे देश को चलाने में सक्षम नहीं हो सकती । इसके लिए स्थानीय स्तर पर भी प्रशासन की व्यवस्था की गई है । इसी व्यवस्था को पंचायती राज नाम दिया गया है ।
पंचायती राज में गांव के स्तर पर ग्राम सभा, ब्लॉक स्तर पर मंडल परिषद और जिला स्तर पर जिला परिषद होता है । इन संस्थानों के लिए सदस्यों का चुनाव होता है । जो जमीनी स्तर पर शासन की बागडोर संभालते हैं ।
महात्मा गांधी कहते थे अगर देश के गांव को खतरा पैदा हुआ तो भारत को खतरा पैदा हो जाएगा । उन्होंने मजबूत और सशक्त गांव का सपना देखा था । जो भारत के रीढ़ की हड्डी होती है । उन्होंने ग्राम सभा का कांसेप्ट दिया था । उन्होंने कहा था कि पंचायतों के पास सभी अधिकार होने चाहिए ।
गांधी जी के सपनों को पूरा करने के लिए 1992 में संविधान में 73 वा संशोधन किया गया । पंचायती राज संस्थान का कांंसेप्ट पेश किया गया इस कानून की मदद से स्थानीय निकायों को ज्यादा सेे ज्यादा शक्तियां प्रदान की गई । उनको आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय की शक्ति और जिम्मेदारियांं दी गई ।
24 अप्रैल को ही पंचायत राज दिवस क्यों मनाया जाता है ?
|
Indian Farmer |
24 अप्रैल 1993 को संविधान में 73 वा संशोधन मुख्य रूप से घोषित कर दिया गया था तब से आज तक इस दिन को राष्ट्रीय पंचायती दिवस के रूप में मनाया जाता है। देश की करीब 70 फ़ीसदी जनसंख्या गांव में रहती है । और पूरे देश में दो लाख 39 हजार ग्राम पंचायत हैं ।
पंचायत व्यवस्था लागू होने के बाद पंचायतों को लाखों रुपए का फंड सरकार की तरफ से सालाना दिया जाता है । ग्राम पंचायतों में विकास कार्य की जिम्मेदारी प्रधान और पंचों की होती है । इसके लिए हर 5 साल में ग्राम प्रधान का चुनाव होता है ।
ग्राम पंचायत क्या होता है ?
|
Indian Agriculture |
किसी भी ग्रामसभा में 200 या उससे अधिक की जनसंख्या का होना आवश्यक है । हर गांव में 1 ग्राम प्रधान होता है जिसको सरपंच या मुखिया कहा जाता है । 1000 तक की आबादी वाले ग्राम के 10 ग्राम पंचायत सदस्य तथा 3000 आबादी तक 15 सदस्य होना चाहिए । ग्राम सभा की बैठक दो बार होना जरूरी है इसकी सूचना 15 दिन पहले नोटिस के माध्यम से देना होता है ।ग्राम सभा की बैठक बुलाने का अधिकार ग्राम प्रधान को होता है बैठक के लिए कुल सदस्यों की संख्या के पांचवें भाग की उपस्थिति जरूरी होता है । ग्राम पंचायत के एक तिहाई सदस्य किसी भी समय हस्ताक्षर करके लिखित रूप से यह बैठक बुलाने की मांग कर सकते हैं ।
15 दिन के अंदर ग्राम प्रधान को बैठक आयोजित करनी होती है । ग्राम पंचायत सदस्यों के द्वारा अपने में से किसी एक को उपप्रधान के रूप में निर्वाचित कर सकता है । यदि उपप्रधान का निर्वाचन नहीं किया जा सका हो तो नियत अधिकारी किसी सदस्य को उपप्रधान निर्वाचित कर सकता है ।
पंचायती राज कैसे काम करता है ?
शुरुआती दिनों में गांव का सरपंच ही सम्मानित व्यक्ति होता था सबसे ज्यादा सरपंच की बात सुनी जाती थी । सभी उसके पास अपनी समस्याओं के निवारण के लिए आते थे । सरपंच के पास ही सारी शक्तियां होती थी लेकिन अब ग्राम ब्लॉक और जिला स्तर पर चुनाव होता है । और प्रतिनिधियों को चुना जाता है ।
सूचित जाति, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजातीय महिलाओं के लिए भी पंचायत में आरक्षण का प्रावधान होता है । पंचायती राज संस्थानों को कई तरह की शक्तियां भी प्रदान की गई है ताकि वे सक्षम तरीके से काम कर सके ।
पंचायती राज के क्या कार्य होते हैं ?
|
Village School &Students |
पंचायती राज के बहुत सारे मुख्य कार्य होते हैं ग्राम के विकास से लेकर ग्राम में रहने वाले लोगों की सुख-सुविधाओं इत्यादि की सारी जिम्मेदारी ग्राम प्रधान की होती है अथवा पंचायती राज का होता है। पंचायती राज के कुछ मुख्य कार्य निम्नलिखित है
- कृषि संबंधी कार्य
- ग्राम विकास संबंधी कार्य
- प्राथमिक विद्यालय उच्च माध्यमिक विद्यालय व अनौपचारिक शिक्षा के कार्य
- मुख्य कल्याण संबंधी कार्य
- राजकीय नलकूपों की मरम्मत व रखरखाव का कार्य
- चिकित्सा एवं स्वास्थ्य संबंधी कार्य
- महिला एवं बाल विकास संबंधी कार्य
- पशुधन विकास संबंधी कार्य
- समस्त पेंशन की स्वीकृति एवं वितरण का कार्य
- समस्त छात्रवृत्तियों की स्वीकृति एवं वितरण का कार्य
- राशन की दुकान का आवंटन एवं उनके रद्दीकरण का कार्य
- गांव की साफ सफाई का कार्य
- गांव में सड़कों व गलियों में रोशनी लाइटों की प्रबंध का कार्य
- गांव में विभिन्न प्रकार की कार्यक्रमों का आयोजन का कार्य
क्या समय से पहले ग्राम प्रधान और उप ग्राम प्रधान को पद से हटाया जा सकता है ?
जी हां अगर ग्राम प्रधान या उप ग्राम प्रधान अपने कार्य को ठीक से नहीं करते या ग्राम की प्रगति पर खरे नहीं उतरते या फिर ग्राम प्रधान मनमानी करने लगे तो ऐसे में समय से पहले ग्राम प्रधान और उप ग्राम प्रधान को पद से हटाया जा सकता है ।
इसके लिए एक लिखित सूचना जिला पंचायती राज अधिकारी को देनी होती है । इसमें ग्राम पंचायत के आगे सदस्यों का हस्ताक्षर होता है । सूचना में पद मुक्त करने के सभी कारणों का उल्लेख होना आवश्यक होता है । हस्ताक्षर करने वाले ग्राम पंचायत सदस्यों में से 3 सदस्यों का जिला पंचायती राज अधिकारी के सामने उपस्थित होना आवश्यक होता है ।
सूचना प्राप्त होने के 30 दिन के अंदर जिला पंचायत राज अधिकारी गांव में एक बैठक बुलाते हैं जिसकी सूचना कम से कम 15 दिन पहले मिल जाती है । बैठक में उपस्थित सभी वोट देने वालों के सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से प्रधान एवं उपप्रधान को पद मुक्त कर दिया जाता है ।
|
Indian Agricultural resources |