CAA-Citizenship Amendment Acts यानी नागरिकता संशोधन कानून, भारत में एक विवादास्पद और चर्चित विषय बन गया है। इस कानून की शुरुआत दिसंबर 2019 में हुई थी, और इसने समाज में विभिन्न पक्षों को उत्तेजित किया है। इस ब्लॉग में, हम सीएए के समर्थन और विरोध की दृष्टिकोण से इस प्रस्ताव को समझने का प्रयास करेंगे।
CAA का मतलब है "नागरिकता संशोधन क़ानून" (Citizenship Amendment Act)। यह भारत सरकार द्वारा 2019 में पारित किया गया था। इस क़ानून के अनुसार, भारत में आए हुए कुछ धार्मिक समूहों के सदस्यों को नागरिकता देने में सुधार किया गया है। इसका उद्देश्य यह है कि भारत में आकर भाग्यशाली रहना चाहने वाले व्यक्तियों को समृद्धि और सुरक्षा के लिए साझा करना।
हालांकि, इसके पास विवादित पहलुओं के कारण कई विरोध प्रदर्शन और आपसी विवाद हुआ है, क्योंकि इसे कुछ लोग धार्मिक भेदभाव और नागरिकता परीक्षण के आधार पर देख रहे हैं।
CCA क्या है ?
नागरिकता संशोधन कानून, 2019 का पूरा नाम है "सिटिजनशिप (अमेंडमेंट) एक्ट, 2019"। इसका मुख्य उद्देश्य भारत में असामंजस्यक आगमन कर रहे विशेष धर्मानुयायी जनता को नागरिकता प्रदान करना है। इस प्रस्ताव के तहत, हिन्दू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई धर्म के अनुयायियों को बाहर आने वाले अन्य देशों से आकर भारतीय नागरिकता प्रदान की जा सकती है।
समर्थन का पक्ष
राष्ट्रीय सुरक्षा: समर्थकों का मानना है कि यह कानून राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देगा और आतंकवादियों को बाहर करने में मदद करेगा।
अनुसारी अधिकार:CAA के समर्थक यह बताते हैं कि इससे भारत में असमानता को दूर करके समाज को सशक्त किया जा सकता है, क्योंकि इसे अनुसारी अधिकार की दृष्टि से तैयार किया गया है।
धार्मिक अत्याचार के खिलाफ: इस प्रस्ताव के समर्थकों का यह भी कहना है कि यह धार्मिक अत्याचार के खिलाफ है और भारत में अल्पसंख्यकों को सुरक्षा प्रदान करने का प्रयास है।
विरोध का पक्ष
संविधान के खिलाफ: विरोधी पक्ष का मुख्य आरोप है कि सीएए संविधान के मौखिक भूमिका के खिलाफ है, जो धारा 14, 15 और 21 के तहत अधिकारों की सुरक्षा का आदान-प्रदान करता है।
धार्मिक भेदभाव: विरोधी पक्ष का दावा है कि सीएए धार्मिक भेदभाव को बढ़ा सकता है और सामाजिक एकता को कमजोर कर सकता है।
असमानता: इसके खिलाफ विरोध करने वाले कहते हैं कि यह असमानता को बढ़ा सकता है और अन्य अल्पसंख्यकों को असमान दृष्टिकोण से देख सकता है।
सन 1971 में जब पाकिस्तान बांग्लादेश अत्याचार कर रहा था उस वक्त बांग्लादेश से बहुत सारे प्रवासी जान बचाने के लिए बांग्लादेश छोड़कर भारत में घुसने लगे धीरेधीरे लाखों प्रवासी भारत में अवैध तरीके से रहने लगे जिसका नतीजा यह हुआ कि हर तरफ अनाज की समस्या होने लगी और साथ ही साथ बहुत सारी और अन्य प्रकार की समस्याएं होने लगी फिर भी प्रवासी पाकिस्तान की अत्याचारों से बचने के लिए भारत आते रहे तभी तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इसकी पूरी जानकारी ली और यह फैसला लिया की इसका कोई न कोई स्थाई हल निकालना पड़ेगा
।
Bangladeshi Refugees 1971 (Photo Credits: Alan Leather)
एकविदेशी पत्रकार के पूछे जाने पर की अब आप लाखों अवैध प्रवासियों का क्या करेंगी इतने दिनों तक उन्हें अपने देश में रहने देंगी, तब तत्कालीनप्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का जवाब इस प्रकार था:-
“हम तो उन्हें अभी ही नहीं रख सकते हैं कुछ महीनों में पानी सचमुच सर से ऊपर चला गया है हमें कुछ करना पड़ेगा एक चीज जरूर कहूंगी मैंने यह तय किया है कि सभी धर्मों के रिफ्यूजीओं को हर
हाल में जाना होगा उन्हें हम अपनी आबादी में नहीं मिलाने वाले हैं”
From The Hindu
Indira Gandhi and Sheikh Mujibur Rahman signing the treaty of friendship, cooperation and peace in Dacca on March 2, 1972. Photo: The Hindu Photo Archives
यहीं से शुरू होता है एनआरसी जैसी बिल की शुरुआत और आज NRC एक ज्वलंत मुद्दा बन गया है परंतु भारत के कुछ विद्वानों ने अपने अपने तर्क केअनुसार विरोध जताया है तो वहीं कुछ विद्वानों ने एनआरसी बिल का पुरजोर समर्थन किया है
।
Image by Harish
परंतु विरोध की असली वजह एनआरसी बिल नहीं Citizenship Amendment Bill (CAB)है, अब यहांझगड़े की असली वजह कैब के बारे में भी जानना जरूरी है तो आइए Citizenship Amendment Bill (CAB) के बारे में जानते हैं ।
नागरिकता
संशोधन बिल सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल
(Citizenship Amendment Bill (CAB)
एक तरह से यह समझा जा
सकता है कि नागरिकता संशोधन बिल एनआरसी का ही सुधरा हुआ रूप है एनआरसी में
अपनी-अपनी नागरिकता साबित करने के लिए असम के 3.29 करोड़ लोगों ने
एनआरसी में आवेदन किया था परंतु बाद में यह पाया गया कि सिर्फ 2.89 करोड़
लोगों के आवेदन स्वीकार किए गए । जिनका नाम इस लिस्ट में नहीं है उन्हें
अवैध माना गया है परंतु जिन लोगों का आवेदन स्वीकार किया गया है एक और मौका दिया
गया है अपनी नागरिकता साबित करने का ।
पिछले दिनों
एनआरसी की प्रक्रिया शुरू की गई जिसमें अपने आप को भारत की नागरिकता साबित
करनी होगी विभिन्न वर्गों में अवैध प्रवासियों को क्या देने की पात्रता दी
जाएगी ।
सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल के अनुसार पाकिस्तान
बांग्लादेश अफगानिस्तान से आए व्यक्तियों जो कि मार्मिक उत्पीड़न के शिकार हुए
हिंदू, सिख, इसाई, जैन, और पारसी धर्म के लोगों को नागरिकता देना है ।
मुस्लिम छोड़ सभी धर्मों के प्रवासियों को शामिल करने की बात कही गई है ।
यही वजह है कि NRC को मुस्लिम विरोधी बिल बताया गया है क्योंकि इसमें मुस्लिम
वर्ग को शामिल नहीं किया गया है ।
एनआरसी में
नागरिकता साबित करने के लिए जरूरी दस्तावेज
एनआरसी में आने के लिए
आपके पास 10 में से कोई भी एक दस्तावेज होना जरूरी है। आपके यह दस्तावेज साबितकरेंगे कि आप भारत के
नागरिक हैं या नहीं । विभिन्न अनुच्छेदों के माध्यम से परिभाषित किया गया है
।
इन अनुच्छेदों में समय-समय पर संशोधन भी हुए हैं संविधान अनुच्छेद 5 से
लेकर 11 तक नागरिकता को परिभाषित करता है । इसमें अनुच्छेद 5 से लेकर 10 तक नागरिक
पात्रता के बारे में बताया गया है । वहीं अनुच्छेद 11 में नागरिकता
मसले पर संसद को कानून बनाने का अधिकार प्रदान करता है । नागरिकता संशोधन में अब
तक 1996, 2003, 2005, व 2015 कुल 5 बार संशोधन किए जा चुके हैं ।
Indiatommorow.net
नागरिकता साबित करने के लिए आपके पास जो
दस्तावेज होने चाहिए इस प्रकार है:-
1.राज्य
के बाहर जारी किया गया स्थाई निवास प्रमाण पत्र 2.भारत
सरकार की ओर से जारी किया गया पासपोर्ट 3.किसी
भी प्राधिकरण द्वारा जारी लाइसेंस या प्रमाण पत्र 4.जमीन
के दस्तावेज जैसे बैनामा, भूमि के मालिकाना हक का दस्तावेज 5.सरकार
या सरकारी उपक्रम के तहत से वाया नियुक्ति को प्रमाणित करने वाला दस्तावेज 6.बैंक
अथवा डाकघर में खाता 7.सक्षम
प्राधिकार की ओर से किया गया जन्म प्रमाण पत्र 8.बोर्ड
या विश्वविद्यालयों द्वारा जारी किया गया शिक्षण प्रमाण पत्र 9.न्याय
किया राजस्व अदालत की सुनवाई से जुड़ा दस्तावेज
10. रिफ्यूजी रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र
एनआरसी में शामिल न होने वाले लोगों का क्या
होगा ?
जो भी व्यक्ति नागरिकता संबंधित दस्तावेज
प्रस्तुत नहीं कर पाते हैं तो उन्हें डिटेंशन सेंटर ले जाया जाएगा । इसके
बाद भारतीय सरकार द्वारा अवैध रूप से रह रहे व्यक्तियों के संबंधित देश से
संपर्क किया जाएगा, अगर वह देश उन व्यक्तियों को स्वीकार करते हैं तो उन्हें
उन देशों को भेज दिया जाएगा जहां से वे आए हैं, अन्यथा सेंटर
में ही रहना होगा ।
एनआरसी के कुछ अन्य बाते
एनआरसी का मुख्य उद्देश्य
अवैध प्रवासियों को उनके देश में भेजना होता है । अमेरिका जैसे देश
में अवैध प्रवासियों को लेकर कठोर कानून बनाए गए हैं ।
कहा जाए तो इसे धार्मिक
मुद्दा बनाकर ज्यादातर राजनैतिक फायदा उठाया जा रहा है।
असम के नागरिक के रूप में
40. 07 लाख लोगों के नाम एनआरसी बिल में नहीं पाए गए हैं
सिटीजनशिप अमेंडमेंट
बिल इस कानून के तहत समुदाय के लोगों को भारत की नागरिकता नहीं दी जाएगी
क्योंकि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश मुस्लिम बाहुल्य देश है वर्तमान
सरकार मोदी सरकार का यह तर्क है कि तीनों देशों में मुस्लिम की बहुलता है । इसलिए बहुलता के चलते इन तीनों देशों में
धार्मिक आधार पर किसी भी मुस्लिम का नहीं हो सकता ।
सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल
2019 के तहत अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत
में रहने वाले हिंदू, बौद्ध, जैन पारसी और ईसाइयों को नागरिकता देने का प्रावधान
है ।
Kutumb App भारत से भारत के लिए Kutumb Logo कुटुंब ऐप एक संगठन, संस्था, समूह अथवा विशेष वर्ग के लिए काम करता है । इस ऐप को चलाने वाला व्यक्ति किसी खास वर्ग का सदस्य होता है । जो किसी विशेष काम को करने के लिए यहां एक दूसरे से जुड़े होते हैं । इस ऐप के माध्यम से अपनी बातों को बड़ी आसानी से अपने समुदाय में बता सकते हैं । कुटुंब ऐप की सबसे अच्छी और खास बात यह है कि सभी एक खास मकसद के लिए काम करते हैं । कुटुंब ऐप सोशल मीडिया का काम तो करता ही है साथ में पर्सनल वेबसाइट और ऐप का भी काम करता है । यह ऐप अपनी बातों को कहने की पूरी आजादी देता है इसके अलावा आप अनजान लोगों से बात नहीं करना चाहते तो उसके लिए भी विकल्प देता है । कुटुंब ऐप दूसरे धर्म अथवा समुदायों में नफरत फैलने से रोकता है । इस ऐप की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि एक ही समुदाय के लोगों के होने से लोगों में नफरत नहीं होती । यहां सभी अपने अपने समुदाय संगठन को आगे बढ़ाते हैं । इस ऐप को बनाने वाले लोगों का नारा है " भारत से भारत के लिए " कुटुंब ऐप का मूल उद्देश्य जिस प्रकार किसी भी ऑफिस में अथवा संगठन में एक सॉफ्टवेयर होता है जिस