धर्मस्थल (Dharmasthala) – रहस्य, अपराध और आस्था का टकराव | विस्तृत जानकारी हिंदी में
धर्मस्थल क्या है?
धर्मस्थल, कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ ज़िले में स्थित एक प्रमुख तीर्थस्थान है, जो मंजुनाथ स्वामी मंदिर (भगवान शिव को समर्पित) के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ हिंदू श्रद्धालुओं के अलावा जैन परंपरा के अनुयायी भी आते हैं। यह स्थान सेवा, दान और आध्यात्मिकता के लिए जाना जाता रहा है।
लेकिन आजकल धर्मस्थल एक ऐसे गंभीर आपराधिक आरोप के कारण सुर्खियों में है, जो न सिर्फ मंदिर की छवि को बल्कि मानवता को भी झकझोर रहा है।
मामले की शुरुआत कैसे हुई?
व्हिसलब्लोअर का खुलासा (3 जुलाई 2025):
एक पूर्व सफाईकर्मी, जिसने 1995 से 2014 तक धर्मस्थल मंदिर ट्रस्ट में काम किया था, ने कहा कि:
“मुझे और कुछ अन्य कर्मचारियों को सैकड़ों शवों को मंदिर परिसर के आसपास के जंगलों में गुप्त रूप से दफनाने के लिए मजबूर किया गया। अधिकतर शव महिलाओं और स्कूली लड़कियों के थे। यह काम रात में कराया जाता था और शवों को ट्रैक्टर में लादकर सुनसान स्थानों पर ले जाकर दबा दिया जाता था।”
SIT (Special Investigation Team) का गठन:
कर्नाटक सरकार ने इन आरोपों की गंभीरता को देखते हुए तुरंत एक विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया।
SIT की जांच के मुख्य बिंदु:
- 13 ऐसे स्थानों की पहचान की गई जहाँ गुप्त कब्रें होने का संदेह है।
- अब तक खुदाई के दौरान 15 हड्डियाँ, ATM कार्ड, PAN कार्ड, और कपड़े के टुकड़े मिले हैं।
- कार्ड पर लिखे नामों से लापता लोगों की पहचान करने की कोशिश हो रही है।
सबूतों के साथ छेड़छाड़ और प्रशासन की लापरवाही:
- बेल्थांगडी पुलिस ने स्वीकार किया है कि 2000 से 2015 के बीच के unidentified dead bodies के रिकॉर्ड हटा दिए गए हैं।
- यह एक कानूनी अपराध है और इससे जांच को बड़ा झटका लगा है।
- RTI से यह भी सामने आया कि मृतकों की पहचान छुपाने के लिए कई प्रयास किए गए।
कानूनी लड़ाई और मीडिया पर रोक:
मामले के सामने आने के बाद, एक स्थानीय सिविल कोर्ट ने मीडिया पर गैग ऑर्डर (रोक) लगा दी थी, जिससे 8500 से अधिक खबरें और पोस्ट डिलीट करवाई गईं।
लेकिन कर्नाटक हाई कोर्ट ने इस आदेश को रद्द कर दिया और कहा कि "मीडिया का काम जनता को सच्चाई से अवगत कराना है।"
नए गवाह और पुराने केस फिर से खुले:
जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, कई आम लोग और पीड़ित परिवार सामने आ रहे हैं और पुराने लापता व्यक्तियों या संदिग्ध मौतों के बारे में SIT को जानकारी दे रहे हैं।
एक व्यक्ति ने बताया कि 15 साल पहले उसने कुछ स्कूली लड़कियों की रात में गुप्त चिता देखी थी, जिसे बाद में “प्राकृतिक मृत्यु” कहा गया।
इस केस के मुख्य तथ्य एक नजर में:
- स्थान धर्मस्थल, कर्नाटक
- आरोप सैकड़ों शवों को गुप्त रूप से दफनाना, अधिकतर महिलाएं और स्कूली लड़कियाँ
- समय अवधि 1995 से 2014
- खुलासा पूर्व कर्मचारी द्वारा, 2025 में
- जांच SIT का गठन, 13 स्थानों की खुदाई
- बरामद सबूत हड्डियाँ, कपड़े, PAN व ATM कार्ड
- प्रशासन की गलती पुलिस द्वारा 15 वर्षों के रिकॉर्ड मिटाए गए
- न्यायिक हस्तक्षेप हाईकोर्ट ने मीडिया पर लगी रोक हटाई
- सामाजिक प्रभाव जनआक्रोश, मंदिर ट्रस्ट की भूमिका पर सवाल
यह मामला इतना संवेदनशील क्यों है?
- यह सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि एक धार्मिक आस्था की जगह पर हुआ कृत्य है।
- महिलाओं और बच्चियों के साथ संभावित शोषण और हत्या की आशंका ने पूरे समाज को झकझोर दिया है।
- प्रशासन और पुलिस की मिलीभगत और रिकॉर्ड मिटाने की साजिश ने इसे एक सिस्टम की विफलता में बदल दिया है।
जनता और सोशल मीडिया की मांग:
- सत्य की पूरी तरह से जांच हो।
- मंदिर ट्रस्ट की भूमिका की जांच हो।
- सभी दोषियों को कड़ी सजा मिले।
- गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित हो।
धर्मस्थल, जो कभी आस्था और सेवा का प्रतीक था, आज एक भयानक सच के खुलासे से जूझ रहा है। ये मामला बताता है कि धार्मिक स्थल भी अगर कानून से ऊपर समझे जाने लगें, तो मानवता की कब्रें वहीं खोदी जाती हैं।
Note: इस लेख में दी गई सारी जानकारी सोशल मीडिया से ली गई है, लेखक की अपनी कोई राय नहीं है।